सरकारी योजनाएं (GOVERNMENT SCHEMES)

सरकारी योजनाएं (GOVERNMENT SCHEMES) पर्यटन मंत्रालय की योजनाएँ (Schemes of Ministry of Tourism) संस्कृति मंत्रालय की योजनायें

1. स्वदेश दर्शन (Swadesh Darshan)

पर्यटन मंत्रालय (MoT) ने 2014-15 में देश में धीम-आधारित पर्यटन सर्किट के एकीकृत विकास हेतु हेतु दर्शन योजना का शुभारम्भ किया है।

इस योजना की कल्पना भारत सरकार की अन्य भारत अभियान स्कील इंडिया, मेक इन इंडिया, आदि केदारने के लिए की गई है। इसके पीछे यह विचार वा कि पर्यटन क्षेत्रको नौकरियों के सूजन तथा आर्थिक संमृद्धि के संचालक के रूप में एक प्रमुख शक्ति बनाया जाय अन्य छेत्रो के साथ समन्वय स्थापित कर इसकी संभावनाओं को साकार किया जाए।

इस योजना के विकास हेतु 13थीम आधारित सर्कीटो की पहचान की गई है। ये है पूर्वोत्तर भारत सर्किट ,हिमालय सर्किट,कोस्टल सर्किट , बौद्ध सर्किट, कृष्णा सर्किट, डेज़र्ट सर्किट, ट्राईबल सर्किट, इको सर्किट, वाइल्डलाइफ् सर्किट, रूरल सर्किट, रिपरिचुअल सर्किट, रामायण सर्किट, हेरिटेज़ सर्किट,।

2.स्पेशल टूरिज्म जोन

(Special Tourism Zone)

● हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा पुणे जिले के जुधार तालुका को एक टूरिज्म जोन के रूप में घोषित किया गया है । यहां छत्रपति शिवाजी के जन्म स्थल शिवनेरी किले के अतिरिक्त सात अन्य ऐतिहासिक किलो को तथा 350 से अधिक गुफाओं को समायोजित किया गया है।

स्पेन टूरिज्म जोन से संबंधित तथ्य

राज्यों के साथ साझेदारी मैं स्पेशल पर्यटन व्हीकल (एसीबी) द्वारा संचालित होने वाले परम जीन’ के निर्माण की घोषणा वर्ष 2017-18 के बजट में की गयी थी।

• जाला का निर्माण, सम्बंधित क्षेण के समय विकास को बढ़ावा देगा एवं विविधतापूर्ण

पर्यटन अनुभवमा यह उन क्षेत्रों में रहने वाले स्थानीय समुदायों के लिए आजीि

ना करेगा तथा उनके जीवनस्तर में सुधार लाएगा।

3. पर्यटन पर्व

(Paryatan Parv)

हाल ही में, पर्यटन मंत्रालय से अन्य केन्द्रीय मंत्रालयों , राज्य सरकारो और हितधारकों के सहयोग से पर्यटन पर्यटन पर्व का आयोजन किया।

पर्यटन पर्व से संबंधित तथ्य

इसका आयोजन 5 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक पर्यटन के लाभ की ओर ध्यान अर्पित करने । सांस्कृतिक विविधता के प्रदर्शन तथा “टूरिज्म फॉर आल सिद्धांत को सुदृण करने के उद्देश्य से किया गया था

यह कार्यक्रम भारतीयों को अपने देश के भ्रमण हेतु प्रोत्साहित करने (देखो अपना देश) पर केंद्रित था।

देश के सभी राज्यों में संवादात्मक (interactive) सत्रों के साथ-साथ क्षेत्र में नवाचार एवं कौशल चित्रास को बढ़ावा देने हेतु कार्यशालाओं जैसे पर्यटन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा

4. धरोहर गोद लें योजना

(Adoption Heritage Scheme)

हाल ही में सात कंपनियों को धरोहर गोद ले योजना के अंतर्गत चौदह स्मारकों के संरक्षण के लिए चुना गया है।

‘धरोहर गोद ले ‘ योजना/अपनी धरोहर अपनी पहचान’ परियोजना का विवरण

यह संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सहयोग से पर्यटन मंत्रालय द्वारा प्रारम्भ की गयी एक योजना है।

इस योजना के अंतर्गत निजी क्षेत्र की कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और कॉर्पोरेट व्यक्तियों को विरासत स्थलों को गोद लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।

इन्हें “स्मारक मित्र” (Monument Mitras) कहा जाएगा और इनके द्वारा संरक्षण हेतु की गयी

गतिविधियों को कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहल के अंतर्गत माना जाएगा।

यह योजना पूरे भारत में स्मारकों, विरासतों और पर्यटन स्थलों के विकास की परिकल्पना करती है तथा उन्हें अधिक संधारणीय बनाने के उद्देश्य से उनकी पर्यटन क्षमता एवं सांस्कृतिक महत्व में वृद्धि कर इन्हें पर्यटक अनुकूल (टूरिस्ट फ्रेंडली) बनाती है।

5. आईकॉनिक टूरिस्ट साइट्स प्रोजेक्ट

(Iconic Tourist Sites Project)

पर्यटन मंत्रालय द्वारा आईकॉनिक टूरिस्ट साइट्स प्रोजेक्ट के तहत विकास हेतु 12 स्थलों की पहचान की गई है।

आईकॉनिक टूरिस्ट साइट्स प्रोजेक्ट के संदर्भ में

प्रमुख पर्यटन स्थलों को आईकॉनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा 2018-19 के केंद्रीय बजट में की गई है।

साइट्स की पहचान यहाँ आने वाले लोगों की संख्या क्षेत्रीय वितरण, विकास की संभावना और कार्यान्वयन की सुगमता जैसे मानदंडों के आधार पर की गई थी।

पहचाने गए 12 स्थल हैं- ताज महल, फतेहपुर सीकरी, अजंता की गुफाएं एलोरा गुफाएं हुमायूँ का महदरा, कुतुब मीनार, लाल किला, कोलाबा बीच, आमेर का किला, सोमनाथ, धौरा हम्पी, महाबलीपुरम, काजीरंगा कुमारकोम, महाबोधि मंदिर।

6. प्रसाद योजना

(Prasad Scheme)

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसद की स्थायी समिति ने पर्यटन मंत्रालय की महत्वपूर्ण प्रसाद योजना को एक ऐसी योजना के तौर पर संदर्भित किया है जिसकी अवधारणा “मौलिक रूप से गलत है।

प्रसाद योजना के संदर्भ में

तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन अभियान (प्रसाद) को 2015 में प्रारंभ किया गया था।

इसका उद्देश्य पर्यटकों की अधिक संख्या प्रतिस्पर्धा और संधारणीयता के सिद्धांत के आधार पर धार्मिक पर्यटन स्थलों की पहचान और उनका विकास करना था, ताकि धार्मिक पर्यटन के अनुभव को समृद्ध बनाया जा सके।

इस योजना के तहत प्रारंभ में 12 शहरों का चयन किया गया था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 25 कर दिया गया।

संस्कृति मंत्रालय की योजनायें

(Schemes of Ministry of Culture)

सांस्कृतिक मानचित्रण और रोडमैप पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Cultural Mapping and Roadmap)

भारत सरकार ने मथुरा जिले से भारत के सांस्कृतिक मानचित्रण पर राष्ट्रीय मिशन का कार्यान्वयन आरम्भ किया है।

सांस्कृतिक मानचित्रण और रोडमैप पर राष्ट्रीय मिशन के बारे में

यह मिशन एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत आता है। इस मिशन का उद्देश्य सरकार और कलाकारों के मध्य संचार का एक प्रत्यक्ष माध्यम स्थापित करना है और उनकी प्रतिभा को निखारने व उनमें सहयोग बड़ाने के उद्देश्य से कलाकारों के मध्य पियर-टू-पियर संचार स्थापित करना है। मिशन के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार हैं:

० सभी कला रूपों और कलाकारों के विकास के लिए हमारी संस्कृति हमारी पहचान अभियान नामक जागरूकता कार्यक्रम चलाकर सांस्कृतिक मानचित्रण (अर्थात सांस्कृतिक परिसंपत्तियों और संसाधनों का डाटाबेस) स्थापित करना।

यह अभियान डिजाईन फॉर डिजायर एंड ड्रीम प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक मजबूत तंत्र प्रदान कर उनकी आकांक्षाओं एवं आवश्यकताओं का ध्यान रखेगा। यह मिशन इस अभियान के विभिन्न स्तरों पर सांस्कृतिक प्रतिभा खोज समारोह दिन” का आयोजन भी करेगा।

● सभी कलापों के क्षेत्र में सूचना प्राप्त करने ज्ञान साझा करने, भागीदारी, प्रदर्शन और पुरस्कार हेतु एक नेशनल कल्चरल वर्किंग प्लेस (NCWP) पोर्टल की स्थापना करना।

एक भारत श्रेष्ठ भारत के बारे में एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम 2016 में प्रारंभ किया गया था।

इसका लक्ष्य भारत के विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में रहने वाले विविध संस्कृतियों के लोगों के मध्य पारस्परिक मेलजोल को प्रोत्साहित करता है। ऐसा किए जाने का उद्देश्य उनके बीच आपसी समझ को बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम के अनुसार पारस्परिक मेलजोल को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष प्रत्येक राज्य/संध शासित प्रदेश को भारत के किसी अन्य राज्य / संघ शासित प्रदेश के साथ युग्मित किया जाएगा। इस विनिमय के माध्यम से इस बात की परिकल्पना की गई है कि विभिन्न राज्यों की भाषा, संस्कृति, परंपराओं तथा प्रथाओं का ज्ञान एक-दूसरे के बीच समय जुड़ाव को बताएगा। इस प्रकार भारत की एकता और अखंडता सक्त होगी।

अन्य सरकारी पहले

(Other government initiatives)

1.स्वच्छ आइकॉनिक प्लेस (Swachh Iconic Place)

मदुरै के मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर को भारत में सबसे श्रेष्ठ ‘स्वच्छ आइकॉनिक प्लेग (स्वच्छ स्थान) के रूप में घोषित किया गया है।

मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर, तमिलनाडु

मंदिर की वर्तमान संरचना 1623-1655 AD में मदुरै के नायक शासकों द्वारा बनाई गई थी, हालांकि इसकी ऐतिहासिकता को छठी शताब्दी ई.पू. के दौरान अस्तित्व में रहे प्राचीन मदुरै के पाण्ड्य शासनकाल में भी खोजा जा सकता है।

यह मंदिर पार्वती (जिन्हें मीनाक्षी के नाम से जाना जाता है) और उनके पति शिव (जिन्हें यहाँ सुंदरेश्वर नाम दिया गया है) को समर्पित है।

एक मंदिर कुंड, विशालकाय विमान 14 गोपुरम तथा 1000 स्तंभों वाले मंडपम से युक्त यह मंदिर से द्रविड वास्तुकला की एक उत्कृष्ट कृति है।

संबंधित तथ्य

स्वच्छ आइकोनिकम, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत प्रारम्भ की गयी एक पहल है।

शहरी विकास मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय और संबंधित राज्य सरकारों के साथ सहयोग में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय इस पहल के लिए समन्ययक मंत्रालय होगा। आइकोनिक प्लेस पहल के अंतर्गत सरकार देश के 100 प्रतिष्ठित विरासत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थलों पर केंद्रित एक विशेष स्वच्छता पहल आरंभ करेगी।

सभी आइकॉनिक स्थलों ने वित्तीय और तकनीकी सहायता हेतु PSUs को नामित किया गया है।

राष्ट्रीय क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र

(National Zonal Cultural Centres)

हाल ही में, पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों ने नेशनल थियेटर पेस्ट, भारत उत्सव, नेशनल माइम फेस्टिवल जैसे विभिन्न महोत्सवों का आयोजन किया। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के संदर्भ में देश भर में लोक कला और पारंपरिक कला के विभिन्न रूपों का परिरक्षण, संरक्षण और उन्हें प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रो (ZCCS) की स्थापना की है।

ZCCs] अनेक योजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है, जैसे कि

● अवार्ड यंग टेलेंटेड आर्टिस्ट: 18-31 वर्ष की आयु के युवा प्रतिभाशाली कलाकारों को विभिन्न लोककला रूपों (जो दुर्लभ हैं और विलुप्त होने की कगार पर है) के क्षेत्र में प्रोत्साहन प्रदान करना। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है और विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।

गुरु शिष्य परम्परा योजना दुर्लभ और सुप्त होते कला रूपों (चाहे वे भारतीय या जनजातीय हो) को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करना ताकि युवा प्रतिभाओं को उनके चुने हुए का क्षेत्र में कौशल प्राप्त करने में सहयोग किया जा सके। यह कार्य विशेषज्ञों एवं इन क्षेत्रों के निहन्त लोगों के मार्गदर्शन में छात्रवृत्ति के रूप में कुछ वित्तीय सहायता देकर किया जाएगा।

● शिल्पग्राम योजनाः शिल्पग्राम / कलाग्राम ऐसे केंद्र हैं, जो युवा प्रतिभाशाली शिकारी को प्रशिक्षण और मंच प्रदान कर भारतीय कला और संस्कृति को प्रोत्साहित और संरक्षित करते हैं।

० राष्ट्रीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (NCEP): इस योजना के तहत विभिन्न क्षेत्रों से कलाकारों की अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है।

पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहन (Promotion of Traditional Sports)

भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) ने ग्रामीण और स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देने हेतु “ग्रामीण, स्वदेशी और जनजातीय खेलों को प्रोत्साहन विशेष पटक को शामिल करके खेलो इंडिया’ प्रस्ताव को नया रूप प्रदान किया है।

अन्य सम्बंधित तथ्य

राज्यसूचीका विषय है तथा खेलों के विकास और प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार उत्तरदायी

होती है। SAI द्वारा प्रोत्साहित किये जाने वाले स्वदेशी खेल और मार्शल आर्ट्स (IGMAS) निम्र हैं:

●कारिप-र्शल आर्ट का प्रारंभ केरल में हुआ। इसे मूलतः केरल के उत्तरी एवं मध्य भाग तथा दक्षिणी तमिलनाडु से संबंधित माना जाता है।

सिलम्बम यह तमिलनाडु में प्रचलित अन्य आधारित मान है। इसमें बांस से बने हुए अस्यों का उपयोग किया जाता है।

० तीरंदाजी यह सारखंड का खेल है जिसमें धनुष और तीर का उपयोग किया जाता है। परंपरागत रूप में शिकार और मनोरंजन के उद्देश्य में तीरंदाजी की जाती थी।

● कबट्टी- यह एक टीम खेल है जिसमें दो टीमें अंत तक अपने अधिक सदस्यों को बनाये रखने के लिए प्रतिस्पर्धा करती है। यह खेल तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में व्यापक रूप में खेला जाता है।

● मलखम्भ- यह पारंपरिक खेल कलाबाजी और एरियल योगा का मिश्रित रूप है। इसका प्रदर्शन लकड़ी के खम्भे पर किया जाता है एवं खिलाड़ी पूरे प्रदर्शन के दौरान कुश्ती पकड़ (Grip) क प्रदर्शन करते हैं।

मुकना यह मणिपुर की लोक कुस्ती है।

पांगटा यह मणिपुर का एक मार्शल आर्ट है और इसे पारंपरिक रूप से हमे लगलों के नाम भी जाना जाता है।

●खोम्लेनाइ (Khomlainal)- यह बसम में बोडो समुदाय के द्वारा प्रदर्शित किया जाने वाला मार्शल आर्ट का एक प्रकार है। गटका यह पारंपरिक युद्ध प्रशिक्षण है जिसमें तलवारों के रूप में लकड़ी की छड़ियों का उपयोग किया जाता है।

आदि महोत्सव (Aadi Mahotsav)

<आदि महोत्सव (जनजातीय महोत्सव), जनजातीय संस्कृति, शिन्य, भोजन और वाणिज्य की भावना का यह उत्सव चंडीगड़ में आयोजित किया गया।

इससे पहले, यह दिल्ली में आयोजित किया गया था। आदि महोत्सव के संदर्भ में यह भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड), जनजातीय मामलों के मंत्रालय और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की एक संयुक्त पहल है।

<आदि महोत्सव ने जनजातीय दस्तकारों को उनके उत्पादों को प्रदर्शित करने और देखने का अर प्रदान किया। यह जनजातीय वाणिज्य को डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन को अगले स्तर तक से जाने का एक प्रयास भी है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (NSTFDC) के माध्यम से ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष योजना भी आरंभ की गई थी।

ट्राफिड के संदर्भ में

ट्राइफेड 1987 में अस्तित्व में आया। यह राष्ट्रीय स्तर का एक शीर्ष संगठन है, जो जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत कार्य कर रहा है।

ट्राइफेड का अंतिम उद्देश्य जनजातीय उत्पादों के विपणन विकास के माध्यम से देश में जनजातीय लोगों का सामाजिक-आर्थिक विकास करना है।

दीनदयाल स्पर्श योजना (Deen Dayal Sparsh Yojana)

हाल ही में, सरकार ने डाक टिकट संग्रह को बढ़ावा देने हेतु स्पर्श (SPARSH) योजना आरंभ की है। डाक टिकट संग्रह (फिनेटली) इसमें विषयगत क्षेत्रों (thematic areas) के आधार पर डाक टिकटों या संबंधित उत्पादों की खोज करना, उनकी अवस्थिति का पता लगाना, उन्हें प्राप्त करना, सूचीबद्ध करना,

प्रदर्शित एवं संग्रहित करना तथा उनका अनुरक्षण शामिल है। डाक टिकटों के प्रति अभिरुचि और शोधकार्य को प्रोत्साहन हेतु छात्रवृति SPARSH योजना

यह योजना सरकार द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर डाक टिकटों के संग्रहण एवं अध्ययन को बढ़ावा देने हेतु आरम्भ की गई है।

इस योजना के एक घटक के रूप में मेधावी छात्रों में अभिरुचि के तौर पर डाक टिकट संग्रहण को प्रोत्साहित करने हेतु वार्षिक वृत्ति प्रदान की जाएगी।

युवा डाक टिकट संग्रहकर्ताओं को उनकी अभिरूचि तथा परियोजनाओं के प्रोत्साहन व मार्गदर्शन के लिए सम्बंधित विद्यालयों को फिलेटनी सलाहकार भी उपलब्ध करवाया जायेगा

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